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लेवा / कुमार कृष्ण
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हम जब भी जाते हैं उसके पास
वह सगी माँ की तरह छुपा लेता है अपनी गोद में
दुलारते हुए कहता है-
तुम मत डरो, मैं हूँ न तुम्हारे साथ
मुझे आता है ठण्ड से लड़ना
सदियों से हर रात लड़ रहा हूँ
कभी न खत्म होने वाली जंग।
दुनिया का सबसे खूबसूरत, सबसे कुरूप
सबसे दुर्बल,सबसे शक्तिशाली
दोस्त का नाम है लेवा
उसके पास पहुँचकर
मैं हमेशा महसूस करता हूँ
ज़िन्दगी की गन्ध।
मेरे घर की पूरी एलबम है लेवा
लेवा है परिवार का वंश-वृक्ष
पूरे परिवार का भगवान!
लेवा**
दादा-दादी,माँ-बाप,भाई-बहन, पत्नी और बच्चों के
फटे-पुराने चीथड़े का अजायबघर है
जिसके पास मौजूद हैं-
अनगिनत सपने
पुश्तैनी आग
मेरा बीता हुआ कल और
काँपता हुआ आज।
- फटे-पुराने वस्त्रों से सीने के लिए बनाये गये तलाई और रजाईनुमा वस्त्र को लेवा कहते हैं।