भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हर कोई चाहता है / कुमार कृष्ण
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:06, 8 मार्च 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कुमार कृष्ण |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
हर कोई चाहता है एक दरवाजा
जिस पर लिखा हो उसका नाम
उसकी अपनी आग हो
जिस पर सेंक सके वह बाजरे की, मक्की की रोटियाँ
उसके पास हो शीशे वाली खिड़की
जिसके बीच से देख सके वह
पेड़ों को मस्ती में झूलते हुए
चोर-सिपाही का खेल खेलते बच्चों को
उसके पास हो एक छोटी-सी बन्दूक
छोटी-सी माचिस की डिबिया
खीसे में साथ-साथ चले।