भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कौन, जो बतलाए सच? / गिरधर राठी

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:50, 24 मई 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गिरिधर राठी |संग्रह=निमित्त / गिरिधर राठी }} कौन जो बतला...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कौन जो बतलाए सच ?


एक मार जो पड़ी उन पर

एक दुलार जो रहा गोपन

इन्हीं के बीच कहीं मेरा उल्लास

और उन का सन्ताप

इन्हीं के बीच वह मरूत-मेघ

इन्द्रधनुष

इन्हीं के बीच कहीं झूमती हैं

हरी-भरी डालें

फूलता मौलिश्री

उड़ते हैं सेमल के फाहे


यह बर्फ़ वह श्रंगार वह रति

वह मेरा सब

इन्हीं के बीच कहीं

दबी-नुची सिसकारी

आह


उड़ान मैं लपकते गिद्धों की

धसान

भेड़ियों के नुकीले दातों की

ठसक

एक नई महाशक्ति के

नए सरताज की


कौन, जो बतलाए सच ?