भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
और इसलिए भी... / विनोद शर्मा
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:09, 15 मार्च 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विनोद शर्मा |अनुवादक= |संग्रह=शब्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
हर क्षण
कहीं न कहीं
कोई न कोई
तुम्हें पुकार रहा है-
मदद के लिए
सुनो!
उसकी पुकार सुनो
क्योंकि इन्सानियत कायही तकाजा है
और इसलिए भी
कि ताकि कभी जब तुम्हें
किसी की मदद की जरूरत पड़े
तो तुम भी
पुकार सको किसी को
बिना किसी अपराध-बोध के।