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थिएटर-3 / विष्णुचन्द्र शर्मा
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इंतजार
किसका है
पर्वत पर
सोए हुए पत्थरों का!
जले हुए पेड़ों का
अनबोली घाटी का
हरी-भरी उगी हुई घास का
आदिम रेड इंडियन का
आदिम हथियारों का
झरनो का
नदी का!
धूप नहीं बतलाती है
पेड़ नहीं बोलता है
इंतजार फिर भी है
इंतजार फिर भी है!