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पेरिस में लोग चकित हैं / विष्णुचन्द्र शर्मा

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पेरिस के म्यूजियम को
देखते हुए लगा मुझे
यह मिस्र, ईरान, तुर्की की
सभ्यता के चिन्ह
अपने-अपने देशों के
ठहराव से ऊब रहे हैं।
अचानक मैं
खुली खिड़की पर आ गया।
मुझे धक्के देकर
पहले शेर खिड़की से कूदा।
फिर नदी ने लंबी उछाल ली
फिर आदिम सभ्यता के
ठहरे हुए चिन्ह आपस में
सलाह करने लगे!
और खुली खिड़की से कूदे
पेरिस की चौड़ी सड़क पर!
फिर आदिम मुखौटों ने
मेरे चेहरे को नापा
आदिम औरतें आईं
और पेरिस की औरतों से
पूछने लगीं:
‘ग्रीक का रास्ता
रोम की सड़क
ईरान की घाटी
चीन की दीवार!’
सड़क की गुलज़ार पटरी पर लोगबाग
ठिठक कर दूर होते गए
शेर ने चौकन्ने लोगों को देखा
पथराई आँखों से और
देखता रहा पारी की सभ्यता को
नदी ने देखा
शेर पत्थर हो गया है।
वह सड़क पर दौड़ा और
उसके पीछे भागने लगे
सभ्य पोशाक में सजे-धजे लोग।
वॉन गॉग की तस्वीर
उड़ी और एक पेड़ पर
अटक गई।
देखते-देखते पेरिस की बसें
कारें, मेट्रो और ट्रामें
शेर और गीदड़ को
देखते हुए रुक गई जहाँ की तहाँ!
मैं म्यूजियम से ऊबी हुई
ग्रीक, रोम, ईरान की सभ्यता का
नया रूप देखता रहा!

मेरे आगे-आगे
भारत; चीन की सभ्यता के प्रहरी
बेतहाशा भागते रहे।
तीन पैरों का सांड रास्ता रोक कर
खड़ा रहा पेरिस की सड़क पर
सिर्फ कुछ मूर्तियाँ नदी में चलते
स्टीमर का इंतजार करती रहीं।

सिर्फ मेरे देश के आदिम मुंडा, नागा और
संथाल नदी में उतरे और चले गए दूर।