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मिलन-स्थल: 1 / विष्णुचन्द्र शर्मा

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घना जंगल हो,
तुफानी रात हो
बर्फानी मौसम हो
समुद्र का उफान हो,
आदमी खोज लेता है
एक मिलन-स्थल।
उस दिन
हीथ्रो एयरपोर्ट पर
मैं मिलन-स्थल पर
फोन कर रहा था
अपने मित्र को
पर गहरी नींद में
कोई क्यों सुने मेरी बात!
जहाज एयर इंडिया का
खराब है या बम रख दिया है...
मैं होटल और मित्रों से
पूछता रहा, ‘रात कटेगी कैसे!’
उसने मुझे खाना खिलाया
और कहा, ‘यह शराबखाना
12 बजे बंद हो जाएगा।
यहीं दो बंेच मिलाकर
काट देना रात।’

मैंने क्लॉक-रूम में
सामान रखा
कैमरा लटकाया और
घूम आया लंदन के
शेक्सपियर मंच तक
फिर वही मिलन-स्थल
था जहाँ टांग पसार कर
सोचता रहा।