भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

फागुन (हाइकु) / अशोक कुमार शुक्ला

Kavita Kosh से
Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:12, 17 मार्च 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अशोक कुमार शुक्ला |संग्रह= }} {{KKCatHaiku}}...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

(1)
फूली सरसों
भटकता फिरता
बावरा मन
(2)
जान न पाई
छलिया है फागुन
दीवानी धरा
(3)
हवा को आज
फागुन ने पिलाई
कैसी शराब
(4)
लेकर आई
मदभरा मौसम
ये फगुनाई
(5)
फगुनाहट
आके फुसफुसाई
मस्तानी आई