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दिन / ब्रजेश कृष्ण

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दिन को मैंने
चार हिस्सों में काटा
और चार दोस्तों में बांट दिया
उन चारों ने भी यही किया
शाम को
चिथड़ा दिन
मुझे शहर की मीनार पर
फड़फड़ाता हुआ मिला।