मुझे दुख है / रमेश आज़ाद
मुझे दुख है
कि मैं
अच्छी कविताएं नहीं लिख पाता हूं
अच्छे शब्दों का अभाव है मेरे पास
अच्छे लोगों से न मिल पाने की मजबूरी...
मुझे अच्छा खाना नहीं मिलता
अच्छे कपड़े नहीं पहनते आते
सूरत अच्छी नहीं होने का भी दुख है मुझे।
पर मैं खुश हूं
इतने-इतने दुख के बाद
मैं खुश हूं
कि बुरी कविताएं नहीं लिखता हूं
टेढ़े शब्दों से दूर रहता हूं
बुरे लोग या तो मुझे मिलते नहीं
या फिर मैं ही कन्नी काट लेता हूं।
कम खाकर व्याधियों से बचा हूं मैं
किसी को नंगा नहीं करता
किसी शोक-सभा में प्रलाप करने के बजाय
चुप रहना
मुझे आता है...
कवि के लिए
सिर्फ अच्छी कविताएं
काफी नहीं हैं,
दुनियादार राजपुरुषों की दुकानदारी
लिख गई है मैदान के चप्पे-चप्पे पर
यह खुशी मेरे लिए
काफी है
कि इतनी सारी खुशियां
अच्छी कविता न लिखने के दुख से
बड़ी हैं...