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वर्णमाला रामायण / रमापति चौधरी

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अवध नगर दशरथ एक भूप।
आंगन रानी तीन अनूप॥

इत कौशल्या नन्दन राम।
ई केकइ सुत भरत ललाम॥

उत दुइ पुत्र सुमित्रहिं भेल।
ऊ लक्ष्मण रिपु दमन सुमेल॥

ऋषि वशिष्ठ गुरू तनिक महान।
एकहिं एक भेला मतिमान॥

ऐश्वर्यक बुझि राम चरित्र।
ओतय पहुंचला विश्वामित्र॥

औषध देल जाय महाराज।
अंग भंग मख भेल समाज॥

अः निशिचर सब कयलक आंट।
कर धरि राम लखन लेल बाट॥
खलहिं मारि मुनि अनुजक साथ।
गंगा पार भेला रघुनाथ॥

घन वन बीच शिला तन धारि।
ङ सम भिनकति गौतम नारि॥

चरण छुवाय कयल उद्धार।
छकित भेला लखि मिथिला द्वार॥

जनकपुरी मे शिवधनु भंग।
झटित बियाह कयल सिय संग॥

ञ सम मूर्छित अपर नरेश।
टक्कर जिति प्रभु अयला देश॥

ठमकल तिलक भेल वनवास।
डसलक केकइ दशरथ नाश॥

ढ़न मनैल तिलकक सब साज।
ण ण कानय अवध समाज॥

तरकश कसि चलला वन ओर।
थर थरैल निशिचर खल चोर॥

दरशन देल लखन सिय संग।
धरकटि सूपनखा भेल संग॥

नककट्टी कनकट्टी भेल।
पतन खरादिक पसरल खेल॥

फरकल अंग भेल सिय हरण।
बली जटायु शबरि सन्तरण॥

भट हनुमान मिलाओल राम।
मन्दिर आनि सुग्रीवक ठाम॥
यमपुर बालि करा प्रस्थान।
रण हुंकार कयल हनुमान॥

लंक जराओल वारिधि फानि।
वरनल सिय सुधि प्रभुहित आनि॥

शंकर पूजल बान्हि समुद्र।
षट मुख सन भेल रामक रूद्र॥

समर मरल रावण कुल सहित।
हरषित सुर नर जग भेल विदित॥

क्षत्र एक रामक सब ठाम।
त्रस्त जगक दुख त्राता राम॥

ज्ञानी पूजथि बालक वृद्ध।
जे बूझथि से पावथि सिद्ध॥

अ सं ज्ञ तक अक्षर देल।
मधुर बाल रामायण भेल॥