भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सरस्वती वंदना / रमापति चौधरी
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:11, 22 मार्च 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमापति चौधरी |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
देवी सरस्वति कोटि प्रणाम
भगवति भारति भूरि प्रणाम।
श्वेत कमल सुन्दर आसन अछि
श्वेत हंस सुन्दर वाहन अछि
श्वेत वस्त्र सुन्दर सुवसन अछि
सुरभित शोभित अंग ललाम।
भगवति भारति भूरि प्रणाम।
मुक्ताहार सुशोभित गरमे
वीणा पुस्तक शोभित कर मे
माला पुष्पक शोभित उर मे
सुर सेवित पूजित सबठाम।
भगवति भारति भूरि प्रणाम।
विद्यादायिनि मातु अहीं छी
जड़ताहारिणि मातु अहीं छी
कल्पलता सनि वृक्ष अहीं छी
जाऊ कहां तजि चरण ललाम।
भगवति भारति भूरि प्रणाम।
देवी सरस्वति कोटि प्रणाम॥