वासुदेव अहं सबहक वौआ / रमापति चौधरी
अद्भुत एक अनुपम वौआ
वासुदेव अहं सबहक वौआ।
पिता पितामह बूढ़ बुढ़ानुस
बच्चा तक सब कहइछ वौआ।
भाइयो वौआ, भातिजो वौआ
पुत्रो वौआ पौत्रो वौआ
अहं के सबकियो कहइछ वौआ।
बुढ़ियो वौआ वधुओ वौआ
बेटी वौआ वौओ वौआ
सब कियो अहं के कहइछ वौआ।
बूढ़ो वौआ नेनो वौआ
समरथ सब जन कहइछ वौआ
पुरजन वौआ परिजन वौआ
जsनो वौआ परिजनो वौआ
अंह के सबकियो कहइछ वौआ।
सांचे प्रियगर छी अहं वौआ
आदिकाल सं सबहक वौआ
वासुदेव निज प्रति निज ह्रदिमे
राखि कहै अछि अहं कें वौआ
अद्भूत एक अनुपम वौआ
अहं के सबकियो कहइछ वौआ।
वासुदेव अहं छी रखबार
सखा सनेही मित्र महाजन
गुरू पूज्य सरदार
की लय अर्चन करू अहांक हम
अछि अड़चन विच भार
हाथ द्रव्य नहि ह्रदय ज्ञान नहि
मुंह वाक्य नहि सार
अहंक अभाव सदा अछि खटकति
क्यो नहि मेटनिहार
रंक रमापति भाव प्रकाशल
करु भव जल निधिवार।