भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सखे! भारत देश जैसा / सोना श्री

Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:29, 28 मार्च 2017 का अवतरण (Rahul Shivay ने सखे ! भारत देश जैसा / सोना श्री पृष्ठ सखे! भारत देश जैसा / सोना श्री पर स्थानांतरित किया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अडिग-अविचल सर हिमाचल,
हिन्द सिंधु जिसके पदतल,
नर्मदा, कृष्णा, त्रिवेणी
तापती, गोदावरी जल।
कौन है संसाधनों से
धनी जग में शेष ऐसा ?
सखे! भारत देश जैसा।।

ज्ञान चारो वेद जिसके,
और स्वर है उपनिषद से,
गुरुवाणी और अजानें
कर्णप्रिय मीठे शहद से,
ज्ञान गंगा से सुशोभित
कौन है उन्मेष ऐसा ?
सखे! भारत देश जैसा।।

प्रीत, रीति है जहाँ की,
विविधता पर एक बंधन,
वीर माटी को जहाँ पर
मानते हैं शीश-चंदन,
सकल जग में तुम बताओ
और कोई देश ऐसा ?
सखे! भारत देश जैसा।।