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43 / हीर / वारिस शाह
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रांझे आखया पार लंघा मियां मैनूं चाढ़ लै रब्ब दे वासते ते
असीं रब्ब की जाणदे भैण भाड़ा बेड़ा ठेहलदे लब्ब दे वासते ते
असां रिज़क कमावना नाल हीले बेड़ा खिंचदे ढब्ब दे वासते ते
हथ जोड़के मिन्नतां करे रांझा तरला करां मैं झब्ब दे वासते ते
वारस रूस आया नाल भाइयां दे मिन्नतां करां सबब दे वासते ते
शब्दार्थ
<references/>