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44 / हीर / वारिस शाह
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पैसा खोल के हथ ते धरे जेहड़ा गोदी चाढ़ के पार उतारने हां
अते ढेकया मुफत जे कन्न खायें चा बेड़ियों जिमीं ते मारने हां
जेहड़ा कपड़ा दे ते नकद सानूं सभो ओसदा कम्म सवारने हां
जोरावरी जे आनके चढ़े बेड़ी अधवाटड़े डोब के मारने हां
डूमां अते फकीरां ते मुफतखोरां दूरों कुतियां वांग दुरकारने हां
वारस शाह जेहां पीर जादयां नूं मुढों बेड़ी दे विच ना वाड़ने हां
शब्दार्थ
<references/>