भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
48 / हीर / वारिस शाह
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:43, 29 मार्च 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
यारो! पलंघ केहा सणे सेज एथे लोकां आखया हीर जटेटड़ी दा
बादशाह सिआलां दे त्रिजणां दी महिर चूचके खान दी बेटड़ी दा
शाह परी पनाह नित लए जिस तों एह थां है मुशक लपेटड़ी दा
वारस शाह झबेल ते घाट पतन सभ हुकम है एह सलेटड़ी दा
शब्दार्थ
<references/>