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48 / हीर / वारिस शाह

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यारो! पलंघ केहा सणे सेज एथे लोकां आखया हीर जटेटड़ी दा
बादशाह सिआलां दे त्रिजणां दी महिर चूचके खान दी बेटड़ी दा
शाह परी पनाह नित लए जिस तों एह थां है मुशक लपेटड़ी दा
वारस शाह झबेल ते घाट पतन सभ हुकम है एह सलेटड़ी दा

शब्दार्थ
<references/>