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51 / हीर / वारिस शाह
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जा माहीयां<ref>एक गीत</ref> पिंड विच गल कीती इक सुघड़ बेड़ी विच गांवदा ए
उहदे बोलयां मुख तेां फुल किरदे लख लख दे सद अलांवदा ए
सने लुडन झमेल दीयां दोवें रन्नां सेज हीर दी ते रंग लांवदा ए
वारस शाह कुआरियां आफतां ते वेख किहा फतूर हुन आंवदा ए
शब्दार्थ
<references/>