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55 / हीर / वारिस शाह

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होंठ सुरख याकूत जिउं लाल चमकण ठोडी सेब वलाइती सार विचों
नक अलफ हुसैनी दा पिपला<ref>तेग की नोंक</ref> ए जुलफ नाग खजाने दी बार विचों
दंद चंबे दी लड़ी कि हंस मोती दाणे निकले हुसन अनार विचों
लिखी चीन तसवीर कशमीर जटी कद सरू बहिश्त गुलजार विचों
गरदन कूंजदी उंगलियां रवां फलियां हथ कूलड़े बरग चिनार विचों
बाहां वेलणे वलिआं गुंनह मखण छाती संगमरमर संग धार विचों
छाती ठाठ दी उभरी पट खेहनूं सेउ बलख दे चुणे अंबार विचों
धुंनी बहिश्त दे हौज दा मुशक कुबा पेडू मखमली खास सरकार विचों
काफूर शहनां सरीर बांके हुसन साक सतून मीनार विचों
सुरखी होठों ही लोढ़ दंदासड़े दा खोज खतरी कतल बजार विचों
शाह परी दी भैण पंजफूल राणी गुझी रहे ना हीर हजार विचों
सइयां नाल लटकदी मान मती जिवें हरनियां त्रुठियां बार विचों
ठीक तेज तलवार दी शान वाली चमक निकली तेग दी धार विचों
फिरे छनकदी चा दे नाल जटी चढ़या गजब दा कटक कंधार विचों
लंका बाग दी परी कि इंद्रानी रूह निकली चंद दी धार विचों
पुतली पेखने दी नकश रूम वाले लधा परीं ने चंद उजाड़ विचों
जो कोई वेखदा उसदे हुसन ताईं जखम लगदा उस तलवार विचों
मत्थे आ लगन जेहड़े भौर आशक निकल जान तलवार दी धार विचों
इशक बोलदा नढी दे थाउं थांई राग निकले जील<ref>खास तार</ref> दी धार विचों
कजलबास<ref>पठान सिपाही</ref> जलाद सवान खूनी निकल दौड़या उड़क बजार विचों
वारस शाह जां नैना दा दाउ लगे कोई बचे न जूए दी हार विचों

शब्दार्थ
<references/>