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इस बार नहीं बेटी / कर्मानंद आर्य

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मैं तुम्हें प्रेम की इजाजत देता हूँ
और काँपता हूँ अपने व्यक्तिगत अनुभवों से
अपने जीवन की सबसे अमूल्य निधि तुम्हें भी मिलनी चाहिए

देखता हूँ तुम तल्लीनता में खोई रहती हो
निश्चित तौर पर प्रेम बढ़ाएगा तुम्हारा अनुभव
तुम चाहो तो जी भरकर प्रेम करो

प्रेम करो इसलिए नहीं कि प्रेम पूजा है
प्रेम पर टिकी हुई है दुनिया
इसलिए क्योंकि सबसे बुरा अनुभव मिल सकता है प्रेम से
मिल सकता है रूठने मनाने का हुनर

जिसने सीखा है अपने अनुभवों से
वह जिन्दगी में कभी असफल नहीं हो सकता
कभी टूट नहीं सकता रूठने मनाने वाले का घर

प्रेम केवल कहने के लिए बुरा है
जबकि अच्छाई का स्श्रोत वहीँ से फूटता है

प्रेम प्रयोग की वस्तु है
प्रेम करो और बताओ अपनी सहेलियों को
अपनी माँ को बताओ अपनी मूर्खताएं

वह सब करो जो किया है मैंने
जो मैंने जिया तुम भी जी सकती हो
पर सीखना अपनी माँ से भी

वह प्रेम में हारकर सब हार गई