भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
62 / हीर / वारिस शाह
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:28, 31 मार्च 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
मान मतीए रूप गुमान भरीए अठ खेलिए<ref>नखरा</ref> रंग रंगीलीए नी
आशक भौर फकीर ते नाग काले बाझ मंतरां मूलन कीलीए नी
एह जोबना ठग बजार दा ए टूने हारीए छैल छबीलीए नी
वारस शाह बिन करदो<ref>करद, छुरी</ref> ज़िबह<ref>कतल</ref> कर के बोल नाल जबान रसीलीए नी
शब्दार्थ
<references/>