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62 / हीर / वारिस शाह

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मान मतीए रूप गुमान भरीए अठ खेलिए<ref>नखरा</ref> रंग रंगीलीए नी
आशक भौर फकीर ते नाग काले बाझ मंतरां मूलन कीलीए नी
एह जोबना ठग बजार दा ए टूने हारीए छैल छबीलीए नी
वारस शाह बिन करदो<ref>करद, छुरी</ref> ज़िबह<ref>कतल</ref> कर के बोल नाल जबान रसीलीए नी

शब्दार्थ
<references/>