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74 / हीर / वारिस शाह

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किहें डोगरां जटां दे नयाऊं जाणे परहे विच दलावर लाइयां दे
पाड़ चीर के जानदा किवें देसो लड़या कासनूं नाल एह भाइयां दे
किस गल तों उठ के रूठ आया की कर बोलया नाल भरजाइयां दे
वारस शाह ना इस तों नफा दिसदा किवें छड आया माल गाइयां दे

शब्दार्थ
<references/>