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93 / हीर / वारिस शाह
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माए रब्ब ने चाक घर घलया सी तेरे होननसीब जे धुरों चंगे
एहो जेहे जे आदमी हथ आवण सारा मुलक ही रब्ब तों दुआ मंगे
जेहड़े रब्ब कीते कम होए रहे सानूं मांउ कयों गैब दे दें पंगे
कुल सयानयां मुलक नूं मत दिती तेग मेहरियां<ref>स्त्रियां</ref> इशक ना करो नंगे
नांह छेड़िये रब्ब दयां पूरयां नूं जिनंहां कपड़े खाक दे विच रंगे
जिन्हां इशक दे मामले सिरीं चाये वारस शाह ना किसे तों रहन संगे
शब्दार्थ
<references/>