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170 / हीर / वारिस शाह
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नाल रांझया कदी ना साक कीता नहीं दितियां असां कुड़माइयां वे
किथों रूलदयां गोलयां आकयां नूं मिलन एह सयालां दीयां जाइयां वे
नाल खेड़यां दे एहा साक कीजै दितीमसलत सभनां भाइयां वे
भलयां साकां दे नाल चा साक कीजो धुरों एह जो हुंदियां आइयां वे
वारस शाह अगयारियां भखदियां नी किसे विच बारूद छुपाइयां वे
शब्दार्थ
<references/>