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185 / हीर / वारिस शाह
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मठी होर खजूर पराकड़ी भी भरे टोकरे नाल समोसयां दे
अंदरसे कचौरियां अते लुची बड़े खंड दे खिरमयां खोमयां दे
पेड़े नाल खताइयां गोल गुप चुप बदानयां नाल पलोसयां दे
रांझा जोड़के परे फरयाद करदा वेखो खुसदे साक बेदोसयां दे
वारस शाह नसीब ही पैन झोली करम ढहन नाहीं नाल रांसियां दे
शब्दार्थ
<references/>