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190 / हीर / वारिस शाह
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असकंदरी नेवरां वीर बलियां पिपल वतरे झुमके सारयो ने
हस जड़े छनकंगनां नाल जुगनी ठिके नाल ही चा सवारयो ने
चंननहार लोगाढ़ियां नाल लूहला वडी डोल मयानडे धारयो ने
दाज घत के विच संदूक बधे सुनो की की दाज रंगारयो ने
वारस शाह मियां असल दाज रांझा इक ओह बदरंग करायो ने
शब्दार्थ
<references/>