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205 / हीर / वारिस शाह
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जेहड़े इशक दी अग दे ता तपे ओन्हां दोजखां<ref>नरक</ref> नाल की वासता ई
जिन्हां इशक दे नाम दा विरद<ref>चिंता</ref> कीता ओहनां फिकर अंदेसड़ा कासदा ई
आखर सिदक यकीन ते कम पौसी मूत चरगु<ref>पक्षी</ref> एह पुतला मास दा ई
दोजख मारया मिलन बेसिदक झूठे जिन्हां बान तकन आस पास दा ई
शब्दार्थ
<references/>