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219 / हीर / वारिस शाह
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यारो ठग सयालां तहकीक<ref>सच</ref> जानो धीयां ठगनियां सब सिखांवदे ने
कौल हार जवानां दे साक खोवन पयोंद<ref>कलम लगाना</ref> होर धिर लांवदे ने
पुत वेख सरदारां दे मोह लैदे एहनूं महींदा चाक बनंवदे ने
दाड़ी शेख दी छुरा कसाइयां दा बैठ परे<ref>पंचायत</ref> विच पैंच सदांवदे ने
जट चोर ते यार ते राह मारन डडियां<ref>कान का गहना</ref> मोहदे सन्नां लांवदे ने
वारस शाह एह जट नी सभ खोटे वडे ठग ए जट झनांदे ने
शब्दार्थ
<references/>