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230 / हीर / वारिस शाह
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मीएं रांझे मुलां नूं जा कहया चिठी लिखो जा सजनां प्यारयां नूं
तुसां सौहरे जा अराम कीता असीं ढोए हां सूल अगयारयां नूं
अग भड़क के जिमीं असमान साड़े चा लिखया जे दुखां सारयां नूं
मैंथों ठग के महीं चरा लइयां रन्नां सच ते तोड़दियां तारयां नूं
गिला वेखो जयों यार ने लिखया ए सजन लिखदे जिवें प्यारयां नूं
वारस शाह ना रब्ब बिना तांघ काई किवें जितीए पासयां हारयां नूं
शब्दार्थ
<references/>