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243 / हीर / वारिस शाह
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एह जग मुकाम फनाह<ref>शौकीन</ref> दा ए सभा रेत दी कंध एह जीवना ई
छां बदलां दी उमर बंदयां दी अजराईल<ref>यमदूत</ref> ने पाड़ना सीवना ई
एह जहान हैगा एथे सेहर मेला किसे नित ना हुकम ते थीवना ई
वारस शाह मियां अंत खाक होना लख आबेहयात<ref>अमृत</ref> जे पीवना ई
शब्दार्थ
<references/>