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276 / हीर / वारिस शाह

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जेहड़े पिंड विच आवे तां लोक पुछण एहतां जोगड़ा बालड़ा छोटड़ा ई
कन्नीं मुंदरां एस नूं ना फबन एहदे तेड़ ना बन्ने लंगोटड़ा ई
सत जनम के हमी हां नाथ पूरे कदे वाहया नहीओं जोतड़ा ई
दुख भंजन नाथ है नाम मैं तां घनंतर वैद दा पोतरा ई
जे कोई असां दे नाल दम मारदा ए एस जग तों जायगा औतरा ई
हीरा नाथ है वढा गुरदेव साडा चले उसदा पूजने चैतरा ई
वारस शाह जो आज्ञा लै साढी दुध पुतरां दे नाल सौतरा ई

शब्दार्थ
<references/>