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299 / हीर / वारिस शाह
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सईयो देखो नी मसत अलमसत जोगी जैदा रब्ब दी वल धयान है नी
इना भौरां नूं आसरा रब्ब दा ए घर बार ना तान ना मान है नी
सोने बन्नड़ी देही नूं खाक करके रूलन खाक विच फकर दी बान है नी
सोहणा फुल गुलाब माशूक नढा राज पुतर ते सुघड़ सुजान है नी
जिन्हां भंग पीती सुआह ला बैठे जिनां माहनूआं<ref>मुहताजगी</ref> नूं केही कान है नी
जिवें असीं मुटयारियां हां रंग भरीयां तिवें एह भी साडड़ा हान है नी
आओ पुछीए केहड़े देस दा वारस एस दा कौन मकान है नी
शब्दार्थ
<references/>