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297 / हीर / वारिस शाह

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रसम जग दी करो अतीत साईं साडियां सूरतां वल ध्यान कीजो
अजू मेहर दे वेहड़े नूं करो फेरा सहती सोहणी ते नजर आन कीजो
वेहड़ा महर दा चलो विखा लयाईये जरा हीर दी तरफ ध्यान कीजो
वारस वेखीए घरां सरदारी ढयां नूं अजे साहिबो नहीं गुमान कीजो

शब्दार्थ
<references/>