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321 / हीर / वारिस शाह

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आ कुवारिए ऐड अपराधने नी धका देह ना हिक दे जोर दा नी
बुंदे कुंदले नथ ते हस कड़ियां बैठी रूप बनायके मोर दा नी
आ नढीए रिकतां छेड़ नाही एह कमनाहीं धुंम शोर दा नी
वारस शाह फकीर गरीब उते वैर कढयो ई किसे खोर दा नी

शब्दार्थ
<references/>