भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
322 / हीर / वारिस शाह
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:56, 3 अप्रैल 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
कल जायके नाल चवाा चावड़<ref>छेड़खानी</ref> सनूं भड भडार कढायो वे
अज आन वड़यों जिन वांग वेहड़े वैर फल दा आन जगायो वे
जदों आ वड़यो विच चूहड़यां दे किनां शामतां<ref>विपता</ref> आन फहायो वे
वारस शाह रजा दे कम वेखो अज रब्ब ने ठीक कुटायो वे
शब्दार्थ
<references/>