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322 / हीर / वारिस शाह

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कल जायके नाल चवाा चावड़<ref>छेड़खानी</ref> सनूं भड भडार कढायो वे
अज आन वड़यों जिन वांग वेहड़े वैर फल दा आन जगायो वे
जदों आ वड़यो विच चूहड़यां दे किनां शामतां<ref>विपता</ref> आन फहायो वे
वारस शाह रजा दे कम वेखो अज रब्ब ने ठीक कुटायो वे

शब्दार्थ
<references/>