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324 / हीर / वारिस शाह

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अनी सुणो भैणां कोई जट जोगी वडा जूठ भारा किसे गांव दा नी
झगड़ैल मरकनां घंड हूझर चरकटा जेहा किसे थांव दा नी
परदेसियां दी नही डौल दिसदी एह तां वाकफ है हीर दे नांवदा नी
गल आख के हथां ते पवे मुकर आप लांवदा आप बुझांवदा नी
हुणे भन्न खपर तोड़े सेलियां नूं नाल जटां दी जूड़ खुहांवदा नी
जे मैं उठ के पान पत लाह सुटां कौन पैंच एह किस गरांव दा नी
अखे डूम मोची अखे ढंड कंजर अखे चूहड़ा किसे सराउंदा नी
वारस शाह मियां वाह ला रहियां एह तां झगड़यों बाज ना आंवदा नी

शब्दार्थ
<references/>