भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

326 / हीर / वारिस शाह

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:56, 3 अप्रैल 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

चकी हानयां विच विचार पैंदी एहदी धुम्म तंदूर ते भठ है नी
कमजात कुपतड़ा वड कंजर डबी पुरे दे नाल दी चठ है नी
भैणे कार खोटा ठग माझड़े दा जेहा रन्न घरोली दा हठ है नी
मंग खान हराम मुशटंडयां नूं वडा सार हसधात<ref>आठ धातुओं का मजबूत मिश्रण</ref> दरी लठ है नी
मुशटंडड़े तुरत पछाण लईए कम्म डाह देहो एह तां जट है नी
एह जट है झुगड़े पट है नी एह तां चैधरी चैड़ चुपट है नी
गदों लदया सने एह छट है नी भावें वेलने दी एह तां लठ है नी
वारस शाह ना एसदा रस मिठा एह तां काठे कमाद दा गठ है नी

शब्दार्थ
<references/>