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337 / हीर / वारिस शाह
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कहियां आन पंचायतां जोड़ियां नी असी रन्न नूं रेवड़ी जानने हां
फड़ी चिथ के लई लंघा पल विच तंबू वैर दे असीं ना तानने हां
लोक जागदे महरियांनाल परचन असीं खाब अंदर मौजां मानने हां
लो छानदे भंग ते शरबतां नूं असीं आदमी नजर विच छानने हां
शब्दार्थ
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