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351 / हीर / वारिस शाह

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इस पद्य में हिकमत की पुस्तकों के नाम हैं

फरफेजिया बीर बतालिया वे औखे इशक दे झारने पावनैं वे
नैंन वेखके मारना एं फूक साहवीं सुते प्रेम दे नाग जगावनैं वे
कदों यूसफी तिब मीजान पढ़यों दसतूर इलाज सिखावनैं वे
किरतास सकदरी तिब अकबर ते जखीरयों बाब सिखावनैं वे
कानून मूजब तोफा मोमनी भाते कफाफाया मनसूरी थी पावनैं वे
कराबादीन सफाई ते कादरी भी अते नाथयां इनसान पढ़ जावनैं वे
रतन जोत ते शाख मलमात सोझन दे गंग जती आवनैं वे
फलसूर जहान दियां असी रन्नां साडे मकर दे भेत किस पावनैं वे
अफलातून शागिरद गुलाम अरस्तू लुकमान तों पैर धुवावनैं वे
गलंा चा वबा दियां बहुत करन एह रोग ना तुध थीं जावनैं वे
इनां मकरियां तों होवे कौन चंगा ठग फिरदे रन्न वलावनैं वे
जेहड़े मकर दे पैर खलार बैठे बिना फाट खाधे नहीं जावनैं वे
मुंह नाल कहयां जेहड़े जान नाहीं हड गोडड़े तिनां भनावनैं वे
वारस शाह एह मार है वसत ऐसी जिन्न भूत ते दयो निवावनैं वे

शब्दार्थ
<references/>