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366 / हीर / वारिस शाह

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हीर कन्न धरया एह कौन आया कोई एह तां है दरदखाह मेरा
जेहड़ा भौर ताजन मैंनूं आखदा है अते गधा बनाया सू चा खेड़ा
मतां कन्न पड़वाके मिएं रांझे घत मुंदरां ते लया राह मेरा
वारिस शाह मत कन्न पड़ाए रांझा घत मुंदरां मंनया हुकम तेरा

शब्दार्थ
<references/>