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391 / हीर / वारिस शाह

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भाबी इक दरों लड़े फकीर सानूं तूं भी जिंद कढें नाल घूरियां दे
जे तैं हिंग दे निरख<ref>भाव</ref> दी खबर नाहीं काहे पुछीए भा कस्तूरियां दे
मैं तां पट पड़ावना नांह होवे काहे खीज करिये नाल भूरियां दे
इनां जोगियां दे काई वस नाहीं घते रिजक ने वायदे दूरियां दे
जान भाबीए नी फकर नाग काले हक मिलन कमाईयां पूरियां दे
कोई दे बद दुआ ते गाल कढे पिछों फायदे की इन्हां झूरियां दे
लुछू लुछू करदी फिरे नाल फकरां लुच चालड़े एहनां बंगूरियां दे
वारस शाह फकीर दी रन्न वैरन जिवें मिरग ने वैरी अगूरियां दे

शब्दार्थ
<references/>