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399 / हीर / वारिस शाह
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सहती आखया उठ खेल बांदी खैर पा फकीर नूं कडीए नी
आटा घतके ते देईए बुक चीनी विचों अलख फसाद दी वढीए नी
देह भिछया वेहड़यों कढ आईए होड़ा विच बरूहां दे गडीए नी
अमां आवे ते भाबी तों वख होईए साथ ऊठ बलद दा छडीए नी
जेहड़ा आकड़ां पया वखांवदा ए जरा वेहड़यों एसनूं कढीए नी
वारस शाह देनाल दो हथ करीए अनी उठ तंू सार दीए हडीए नी
शब्दार्थ
<references/>