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412 / हीर / वारिस शाह

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नवी नोचिए गुझिए यारने नी कारे हथीए चाक दिये पयारीए नी
पहले कम सवार हो बहे नियारी बेली घर लै जाए तूं डारीए नी
आप भली हो बहें ते असीं बुरियां करे खचरपो<ref>खचरापन</ref> रूप शिंगारीए नी
आ जोगी नूं लईं छुडा साथों तुसां दोहां दी पैज सवारीए नी
वारस शाह हथ फड़े दी लाज हुंदी साथ करीए ते पार उतारीए नी

शब्दार्थ
<references/>