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439 / हीर / वारिस शाह
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आकी हो बैठे असीं जोगीअड़े जाह ला लै जोर हो लावना ई
असी हुसन ते हो मगरूर बैठे चार चशम दा कटक लड़ावना ई
लख जोर तूं ला जे लावना ए असां बदीयों बाझ ना आवना ई
सुरमा अखियां दे विच पा के ते असां वडा घमंड दखावना ई
रुख देके यार पयारड़े नूं सैदा रांझे दे नाल लड़ावना ई
ठंडा होए बैठा सैदा वांग दहसर<ref>रावण</ref> सोएन लंक नूं उस लुटावना ई
रांझे कन्न पड़ायके जोग लया असां जजीया जोग ते लावना ई
वारस शाह बाग विच जा बैठा असां हासला बाग दा पावना ई
शब्दार्थ
<references/>