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443 / हीर / वारिस शाह

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हीर आन जनाब विच अरज कीती नयाजमंदां<ref>गरीब</ref> दियां बखश मरगोलियां नी
सानूं बखश गुनाह तकसीर सारी जो कुझ लड़दयां तुधनूं बोलियां नी
अछी पीड़ वंडावनी भैण मेरी तैथों वार सुटां घोल घोलियां नी
मेरा कम कर मुल लै बाझ दंमां जो कुझ आखसै मैं तेरी गोलियां नी
घर बार ते माल ज़र हुकम तेरा सभ तेरियां ढाडीयां खोलियां नी
मेरा यार आया चल वेख आईए पई मारदी सैं नित बोलियां नी
जिस जात सफात चुधराई छडी मेरे वासते चारियां खोलियां नी
जेहड़ा मुढ कदीम दा यार मेरा जिस चूंडिया कुआर दियां खोलियां नी
वारस शाह गुमान दे नाल बैठा नहीं बोलदा मारदा बोलियां नी

शब्दार्थ
<references/>