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446 / हीर / वारिस शाह
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जिवें सुबह दी कजा<ref>छिन जाना</ref> नमाज हुंदी राजी हो इबलीस<ref>शैतान</ref> भी नचदा ए
जिवें सहती दे जिउ विच खुशी होई दिल रन्न दा छला कच दा ए
जाह वखशया सभ गुनाह तेरा तैनूं इशक कदीम तों सच दा ए
वारस शाह चल यार मना आईए एथे नवां अखारड़ा मचदा ए
शब्दार्थ
<references/>