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456 / हीर / वारिस शाह
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राज छड गए गोपी चंद जेहे शदाद फिरऔन कहा गया
नौशेरखां छड बगदाद टुरया ऊह वी अपनी वार लंघा गया
आदम छड बहिशत दे बाग नठा भुले बिसरे कणक नूं खा गया
फिरऔन खुदा कहायके ते मूसा नाल ऊशटंड बना गया
नमरूद शदाद जहान उते दोजख अते बहिश्त बना गया
कारूं जेहा इकठियां मल के बन्ह सिर ते पंड उठा गया
माल दौलतां हुकम ते शान शौकत महखासरी हिंद लुटा गया
सलेमान सकदरों ला सफरे सतां भूइयां ते हुकम चला गया
ओह भी एस जहान ते रिहा नाही जेहड़ा आप खुदा कहा गया
वारस शाह उह आप है करनहारा सिर बंदया दे गिला आ गया
शब्दार्थ
<references/>