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469 / हीर / वारिस शाह
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लिया हीर सयाल सो दीद करिए आ जाह ओ दिलबरा वासता ई
जाके आख रांझा तैनूं याद करदा घुंड लाह ओ दिलबरा वासता ई
सानूं महर दे नाल वखाल सूरत मुख माह ओ दिलबरा वासता ई
जुलफ नाग वांगूं कुंडल घत बेठी गलों लाह ओ दिलबरा वासता ई
दिने रात ना जोगी नूं टिकाण देंदो तेरी चाह ओ दिलबरा वासता ई
लोड़ें लुटिया नैणां दी सांग देके मुड़ जाह ओ दिलबरा वासता ई
गल कपड़ा इशक दे कुठियां देहों घाह ओ दिलबरा वासता ई
सदका सैदे दे नवें पयार वाला मिल जा ओ दिलबरा वासता ई
वारस शाह नजाम दा करज वडा सिरों लाह ओ दिलबरा वासता ई
शब्दार्थ
<references/>