भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

465 / हीर / वारिस शाह

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:22, 5 अप्रैल 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

घर पेईअढ़े बड़ी हवा तैनूं दितयो छिबियां<ref>दुपट्टा</ref> नाल अंगूठयां दे
अत सच दा सच हो नितरेगा कोई देस ना वसदे झूठया दे
जे तूं मारया असां ने सबर कीता नहीं जानद दाऊ एह घूठयां दे
जटी हो फकीरां दे नाल लडिए छना भेड़या ई नाल ठूठयां दे
सानूं बोलियां मार के निंददी सै युमन<ref>बरकत</ref> डिठयो टुकरा जूठयां दे
वारस शाह फकीर नूं छड़दी सै डिठे मोजजे इशक दे लूठयां दे

शब्दार्थ
<references/>