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470 / हीर / वारिस शाह
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लैके सोहणी मोहणी हंस राणी मिरग मोहनी जा के घलनी हां
तेेरिआं पीरिआं अजमतां<ref>महानता</ref> वेखके मैं बांदी होके घरां नूं चलनी हां
पीर पीर दी देख मुरीद होई तेरिआ जुतिआं सिर ते चलनी हां
मैंनूं मेल मुराद बलोच साइयां तेरे पैर मैं आण के मलनी हां
वारस शाह कर तरक बुरयाइयां दी दरबार अलाह दा मलनी हां
शब्दार्थ
<references/>